दोस्ती मैंने की, तो उसे निभाने की आदत थी।
बस तुम थे, तुम्हें खुश रखने की चाहत थी।
कमबख्त किस्मत में क्या लिखा है कौन जाने,
हमें तो बस तुमसे बात करने की चाहत थी।
सीधे मुंह बात न सही, यूं झगड़ ही लेना था।
मुझसे लड़कर ही अपने हाल बता देना था।
मित्र! अलविदा कहने से पहले,
कोई कारण तो बता देना था।
यूं अलविदा कह गए, क्या दूर जाने का मन था।
अपने दुःखो को स्वयं उठाने का मन था।
क्या इतना जरूरी था दूर जाना,
बस तुम थे, तुम्हें खुश रखने की चाहत थी।
कमबख्त किस्मत में क्या लिखा है कौन जाने,
हमें तो बस तुमसे बात करने की चाहत थी।
सीधे मुंह बात न सही, यूं झगड़ ही लेना था।
मुझसे लड़कर ही अपने हाल बता देना था।
मित्र! अलविदा कहने से पहले,
कोई कारण तो बता देना था।
यूं अलविदा कह गए, क्या दूर जाने का मन था।
अपने दुःखो को स्वयं उठाने का मन था।
क्या इतना जरूरी था दूर जाना,
स्वयं अलविदा कह स्वयं दूर जाना था।
Post a Comment